चांदनी
रात का वक्त है ख़ामोशी तोड़ दोबंद दरवाज़े क्यों है? ये ताले तोड़ दो आसमान के नीचे भी जन्नत ही हैनिंदोके पेहरे है आँखोपर, सारे तोड़ दो जिन्हे निभाते गुज़र जाएगी ये जिंदगीबेवजह है वो रस्मो रिवाज़ प्यारे, तोड़ दो आंगन मै ही डेरा डाले बैठा है चांदवहां आने से रोकती सारी जंजीरे तोड दो हम बस अभी है यहाँ […]
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